अशोक मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार

लखनऊ : नैनीताल जिले से एक अत्यंत दुखद और शर्मनाक घटना का समाचार प्राप्त हुआ है, जिसमें एक मासूम बालिका के साथ एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा हैवानियत की गई है। यह न सिर्फ एक बाल अधिकारों का घोर उल्लंघन है, बल्कि मानवता को झकझोर देने वाला अपराध है।इस घटना की जानकारी मिलते ही उत्तराखंड बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग ने इस पर तत्काल और कड़ा संज्ञान लिया है। उत्तराखंड बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना ने बताया कि आयोग के अध्यक्ष के रूप में मेरे द्वारा पीड़ित परिवार से तत्काल संपर्क स्थापित कर उनकी स्थिति की जानकारी ली गई है और आयोग की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया गया है। जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) से वार्ता कर जांच को तेज़ गति से आगे बढ़ाने, आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी तथा कठोरतम कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की गई है।जिला प्रशासन एवं बाल कल्याण समिति को निर्देशित किया गया है कि पीड़िता को हर संभव चिकित्सकीय, मानसिक एवं विधिक सहायता शीघ्र प्रदान की जाए। आयोग स्वयं इस प्रकरण की निगरानी करेगा ताकि न्याय की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की ढिलाई न हो और पीड़िता के अधिकारों की पूरी रक्षा हो सके। यह अपराधी 70 वर्षीय है।इसका बेटा सरकारी नौकरी में कार्य करता है। उक्त अपराधी ने 2 माह पूर्व भी बालिका के साथ यह कुकृत्य किया था एवं 12 अप्रैल को पुन: घटना को अंजाम दिया। बालिका भयभीत होने के कारण किसी को कुछ भी बताने में असमर्थ थी। 23 अप्रैल को बालिका की नानी को जैसे ही घटना की जानकारी मिली जिसके बाद नानी ने लोगों से बात कर उक्त अपराधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है ।डॉ गीता खन्ना ने कहा इस प्रकार के असामाजिक तत्व हमारे समाज में पल रहे हैं। इस उम्र में इनकी मानसिकता कितनी गिरती जा रही है। इस प्रकार के अपराधी कहा से प्रेरित हो रहे है। आयोग ने इस पर जांच के आदेश वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दिए है ,और यह भी कहा है कि हर पहलुओं की जांच की जाए ।डॉ गीता खन्ना ने बताया कि देहरादून में भी नाबालिक बालिका के साथ बलात्कार की सूचना मिली। नैनीताल में भी युवती के साथ दुष्कर्म का मामला प्रकाश में आया जिसमें देखा गया है कि धर्म विशेष के लोगों द्वारा निरंतर ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है जो कि अत्यंत निंदनीय है ।”यह घटना बच्चों की सुरक्षा को लेकर हमारे सतत प्रयासों को और अधिक सुदृढ़ करने की आवश्यकता की ओर संकेत करती है। समाज, प्रशासन और समस्त जिम्मेदार संस्थाओं को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे जघन्य अपराधों के लिए हमारे राज्य में कोई स्थान न हो। आयोग इस प्रकार की किसी भी बर्बरता के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर प्रतिबद्धता के साथ कार्य करें।

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