भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ के गायन विभाग द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यशाला का आज द्वितीय दिवस था, जिसमें दो सत्र आयोजित किए गए l पहला सत्र सुबह 10:30 से आरंभ हुआ,जिसमें पंडित अजय चक्रवर्ती जी ने विद्यार्थियों को तानपुरा मिलाने की विधि विस्तार से समझाया। विद्यार्थियों को उन्होंने आदेशित किया कि वह अपना रियाज तानपुरा के साथ ही करें साथ ही विद्यार्थियों को चार स्वरों में कुछ पलटे बताए तथा उसके गणितीय सिद्धांत के बारे में समझाया। इस सत्र में विद्यार्थियों द्वारा कई प्रश्न किया गया कि अपने गाने की पिच कैसे सेलेक्ट करें? इसको पंडित जी ने बहुत विस्तार से सहजतापूर्वक समझाया। कार्यशाला का द्वितीय सत्र शाम 3:00 बजे से प्रारंभ हुआ। इस सत्र में पंडित जी ने विद्यार्थियों को लय तथा ठेके का अंतर समझाए साथ ही साथ यह भी बताया किस प्रकार से जटिल अलंकारों को लय के साथ रियाज किया जाता है। अलग-अलग विद्यार्थियों से अलग-अलग बनावट के पलटों को गवाया। किस तरह से 10 मात्रा में 16 मात्रा को और इसके विपरीत 16 मात्रा में 10 मात्रा को लाया जाता है। अंत में उन्होंने समझाया कि किस प्रकार विलंबित ख्याल को ताली देकर गाया जा सकता है जिससे कि रियाज के समय विद्यार्थी को संगतकर्ता पर निर्भर ना होना पड़े। इसके लिए पंडित जी ने “प्रभु रंग भीना सब सुख दीना” राग भूपाली की बंदिश को सोदाहरण समझाया। इसके पश्चात पंडित जी ने राग हमीर में “हमारी प्रीत लगी उन सुजन सैया सो” बंदिश द्वारा विलंबित लय को समझाया। तत्पश्चात भातखंडे संस्कृत विश्वविद्यालय के गायन विभाग की वरिष्ठ अध्यापिका डॉ. सीमा भारद्वाज जी ने पद्म भूषण पंडित अजय चक्रवर्ती जी का धन्यवाद ज्ञापन किया। इसी के साथ आज की द्वितीय सत्र की कार्यशाला का समापन हुआ।

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