जगदीशपुर (अमेठी) : “भ्रष्टाचार मुक्त शासन”, “शून्य सहनशीलता नीति” और “नियम आधारित पारदर्शिता” यह वाक्य अब राजनीतिक भाषणों में गूंजते नारे बनकर रह गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की बात करते हैं, गृहमंत्री अमित शाह ‘कानून का राज’ स्थापित करने की घोषणा करते हैं, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शासन में सख्ती और पारदर्शिता की बात दोहराते हैं। लेकिन ज़मीनी सच्चाई इन दावों से मेल नहीं खा रही। उत्तर प्रदेश की स्थानांतरण नीति 2024-25, जिसे राज्य मंत्रिमंडल ने 11 जून 2024 को दी गई स्वीकृति अनुसार समूह ‘क’ और ‘ख’ के किसी अधिकारी की एक जिले में तैनाती की अधिकतम सीमा 3 वर्ष और मंडल स्तर पर 7 वर्ष तय की गई है। इसके अतिरिक्त तबादले की अधिकतम सीमा समूह ‘क’ व ‘ख’ में 20% तथा समूह ‘ग’ व ‘घ’ में 10% रखी गई है। इन आदेशों को 30 जून तक हर हाल में लागू करना अनिवार्य किया गया था।इसके बावजूद जगदीशपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में डॉ. संजय कुमार पिछले 12 वर्षों से लगातार तैनात हैं। इतना ही नहीं, उन्हें इसी संस्थान में अधीक्षक भी बना दिया गया। यह स्थिति नीति और शासनादेश के खुले उल्लंघन की मिसाल है। स्थानीय सूत्र बताते हैं कि जहां अन्य चिकित्सकों का समय-समय पर तबादला होता रहा, वहीं इस सीएचसी पर एक ही अधिकारी की वर्षों तक तैनाती और पदोन्नति ने जनचर्चा और शंका दोनों को जन्म दिया है। सीएचसी में बाल रोग विशेषज्ञ, रेडियोलॉजिस्ट, डेंटल सर्जन जैसे पद वर्षों से खाली हैं। इमरजेंसी सेवाओं में डॉक्टर नहीं, बल्कि फार्मासिस्ट मरीज देख रहे हैं, और मरीजों को महंगी बाहरी दवाएं लिखी जा रही हैं। इससे ग्रामीण और गरीब मरीजों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ रहा है। कुछ चिकित्सक सरकारी आवास में रहकर निजी क्लीनिक भी संचालित कर रहे हैं, जो नियमों का उल्लंघन है।अब सवाल यह है कि जब मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति, मंत्रिमंडल की स्वीकृति और स्थानांतरण नीति भी धरातल पर निष्प्रभावी साबित हो रही है, तो क्या यह प्रशासनिक लापरवाही है या प्रभावशाली संरक्षण का परिणाम?यह मामला न सिर्फ तबादला नीति के उल्लंघन का है, बल्कि यह दर्शाता है कि चुनिंदा व्यक्तियों को नियमों से ऊपर रखकर व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है। यदि सरकार वास्तव में पारदर्शिता और शून्य सहनशीलता नीति के प्रति गंभीर है, तो इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

रिपोर्ट – गंगेश पाठक, जगदीशपुर (अमेठी)

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